Principal's Message
This Gurukul is a garden which is owned by Pujya Bapuji. We all are the gardener and our children are the little plantlets of this garden. Our duty is to take intense care of all these plantlets so that even a single plantlet may not be spoilt, may not be ill, may not be left undeveloped, may not die. Out of these plantlets only, one would be a strong tree to face all storms of life, one would be spreading the fragrance of its flowers, one would be satisfying others by its sweet fruits, one would be effacing one’s fatigue and one would be providing shelter under its huge personality like a Vatvriksh.
People say that not even a single plant is there without any medicinal use in this world but the lack of such ones is there who can identify them. Similarly, there is not a single child without any capability. But such teachers are needed to identify it and evolve.
Our practices are always to provide all facilities to the student to make perfect in academic aspects according to today’s demand and our scholar and experienced teachers are playing their roles at their best.
Through awakening in the early morning, Japa, meditation, Tratak, Surya Namaskar, Asan students arise their good traits and become rich in spiritualism.
Students studying in Gurukul should be rich in a spiritualism, possess strong character, Healthy body, sattvic brain and Holy mind this is our goal.
These students only would be waving the flag of Divya Gyan delivered to us by Bapuji
यह गुरुकुल एक बगीचा है जिसके मालिक है पूज्य बापूजी |
हम सभी बापूजी के बगीचे के माली हैं और हमारे बच्चे है नन्हे – नन्हे पौधे |
अपने गुरु जी के बगीचे के पौधों का ख्याल रखना हमारा कर्तव्य है, ताकि इनमें से एक भी पौधा टेढ़ा – मेढ़ा ना हो जाए, एक भी पौधा अविकसित ना रह जाए, एक भी पौधा मरने ना पाए |
इन पौधों में से कोई इतना मजबूत बन जाएगा कि जीवन के सारे तूफानों को सहन कर सके, इन्हीं में से कोई अपने फूलों की खुशबू से पूरी दुनिया को सुगंधमय कर देगा, इन्हीं में से कोई अपने मीठे फलों से लोगों को तृप्ति देगा, इन्हीं में से कोई अपनी घनी छाया से लोगों का ताप हर लेगा, और इन्हीं में से कोई विशाल वट वृक्ष अपने विशाल व्यक्तित्व के नीचे लोगों को आश्रय देगा |
लोग कहते हैं, इस संसार में एक भी पौधा ऐसा नहीं है जिसका कोई औषधीय गुण ना हो ,बस कमी है तो ऐसे लोगों की, जो उसे पहचान सके | ठीक इसी तरह दुनिया में कोई भी बच्चा ऐसा नहीं है जिसके अंदर कोई सदगुण ना हो, जरूरत है तो बस ऐसे शिक्षकों की, जो उसे पहचान सके और उभार सके |
पूज्य बापूजी कहते हैं, “मेरे बच्चे दुनिया के बड़े-बड़े पदों पर आसीन होंगे”| हमारा प्रयास भी बच्चों को आज के समय की मांग के अनुसार लौकिक शिक्षा में पारंगत बनाने का रहता है और हमारे विद्वान, योग्य एवं अनुभवी शिक्षक इस कार्य को बखूबी निभा भी रहे हैं |
पूज्य बापूजी कहते हैं -“ बच्चों में सत्संग के संस्कार डालो” | ब्रह्ममुहूर्त में जागरण, जप, ध्यान, त्राटक, सूर्यनमस्कार, आसन आदि के द्वारा बच्चों के शुभ संस्कारों को जागृत करने का वातावरण मिलता है और बच्चे आध्यात्मिक पूंजी के धनी बनते हैं |
गुरुकुल में पढ़ने वाले विद्यार्थी आध्यात्मिक ऊंचाई के धनी हो, उनका चरित्र बल मजबूत हो, शरीर स्वस्थ, बुद्धि सात्विक और मन पवित्र हो, यही हमारा प्रयास है | यही बच्चे बापू जी के ज्ञान का परचम पूरी दुनिया में लहराएंगे |